आधी नदी-आधा पहाड़ | कवि, कविता और वो | यात्रा सीरीज - 4
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आधी नदी-आधा पहाड़ | कवि, कविता और वो | यात्रा सीरीज - 4
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Description
तुम्हारा प्रेम सरकारी वादे सा था, तुमने नदी को सड़क बनाने का दिलासा दिया था। वो न तो पूरी सड़क बन पाई न पूरी नदी - प्रेम में परिवर्तन उसका...
show moreतुमने नदी को सड़क बनाने का
दिलासा दिया था।
वो न तो पूरी सड़क बन पाई
न पूरी नदी -
प्रेम में परिवर्तन
उसका गला घोंटने जैसा है;
उसपर चलते हुए
राहगीरों ने देखा-
कि वो आधी नदी बची है-
आधी सड़क।।
~ मयंक
कहने को शब्द कम है सो बस कविताओं में कुछ बातें यूं ही। प्रेम अर्थ समझ लेगा, और न भी हो तो बस सुन लेगा। सुनना जरूरी है आवाज को, दलील को, पुकार को - हर किसी को सुनना चाहिए। प्रेम पर गीत लिखते लोगों को सुनो, देखो दुख कितना खूबसूरत नजर आता है फिर।
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Content Credits:
Voice: Mayank Gangwar
Written By: Kitabganj
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Information
Author | Mayank Gangwar |
Organization | Mayank Gangwar |
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