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मचान पत्रिका की पहली सालगिरह बस आती ही दिख रही है, अंक दर अंक प्रिय और परिचित होती इस नई हिन्दी मैग्ज़ीन की सम्पादक मंडली- यानी हम- मधुरिमा, श्वेतिका, प्रियांशी और उलफ़त- अपने पाठकों से जुड़ने के सतत प्रयासों में लगे हैं और आपको बुलावा दे रही हैं पत्रिका की सीमित पंक्तियों को लांघते हुए हमारी इधर-उधर की गपशप में शामिल होने का। हाज़िर है मचान पत्रिका की नई पेशकश "वगैरह-वगैरह", एक पॉडकास्ट जिसकी कोई तारीख़ नहीं, और फ़िलहाल के लिए कोई ख़ास विषय भी नहीं, बस अपनापन और बातचीत।
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वगैरह वगैरह
वगैरह वगैरह
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एपिसोड ०४: पटकथा का सफ़र | Machaan Patrika
9 JUL 2022 · इस एपिसोड में मचान मंडली जुड़ती है निर्देशक-निर्माता और स्टूडियो ऐनक की संस्थापक सुरुचि के साथ। पेश है इनके साथ हुई सिनेमा जगत के इर्द-गिर्द घूमती गुफ्तगू। संगीत: समर्थ ग्रोवर -
एपिसोड ०३: हसदेव अरण्य बचाओ आंदोलन
4 JUN 2022 · मचान पत्रिका की पेशकश "वगैरह-वगैरह" की तीसरी कड़ी में सुनिए छत्तीसगढ़ के आदिवासियों की दशक पुरानी लड़ाई हसदेव अरण्य को बचाने की। आजकल हर रोज़ सोशल मीडिया पर क्लाइमेट चेंज की बातें की जाती है, लेकिन बात जब एक पुरे जंगल को बचाने की आ जाए तब हमें हमारा ए. सी., फ्रिज चलाते रहने के लिए जंगल काट बिजली चाहिए। क्या 'छत्तीसगढ़ के फेफड़ों' को बचाने की ज़िम्मेदारी सिर्फ आदिवासियों की है? क्या क्लाइमेट एक्टिविज्म फैशन बनकर रह गया है? संगीत: समर्थ ग्रोवर -
एपिसोड ०२: ह से हिन्दी
25 FEB 2022 · मचान पत्रिका की पेशकश "वगैरह-वगैरह" की दूसरी कड़ी में सुनिए हिंदी को लेकर हो रही राजनीति के बारे में मंडली की राय। इसी के साथ जानिए कैसे स्कूल और अंग्रेज़ी के बीच हुआ ये मैच फिक्सिंग, हिंदी और अन्य मातृभाषाओं के लिए घातक साबित हो रहा है। और समझिए हिंदी के ऐसे लक्षणों के बारे में जो घड़ी-दर-घड़ी बदलती इस दुनिया में खुद हिंदी के लिए आत्मघाती साबित हो रहें हैं। जाति से लेकर जेंडर तक, सुनिए सुनिए मचान मंडली को इन सभी बिंदुओं पर चर्चा करते हुए। संगीत: समर्थ ग्रोवर -
एपिसोड ०१: परिचय
21 AUG 2021 · मचान की पेशकश "वगैरह-वगैरह" के पहले प्रकरण में सुनिए चार लड़कियों के बीच होती बातचीत, एक डिजिटल पत्रिका के संकल्पना, संपादन और प्रकाशन के बारे में... अरे ऐसी वैसी चार लड़कियाँ नहीं आपकी प्रिय मचान पत्रिका की सम्पादक मंडली! संगीत निर्देशन/Master: समर्थ ग्रोवर
मचान पत्रिका की पहली सालगिरह बस आती ही दिख रही है, अंक दर अंक प्रिय और परिचित होती इस नई हिन्दी मैग्ज़ीन की सम्पादक मंडली- यानी हम- मधुरिमा, श्वेतिका, प्रियांशी और उलफ़त- अपने पाठकों से जुड़ने के सतत प्रयासों में लगे हैं और आपको बुलावा दे रही हैं पत्रिका की सीमित पंक्तियों को लांघते हुए हमारी इधर-उधर की गपशप में शामिल होने का। हाज़िर है मचान पत्रिका की नई पेशकश "वगैरह-वगैरह", एक पॉडकास्ट जिसकी कोई तारीख़ नहीं, और फ़िलहाल के लिए कोई ख़ास विषय भी नहीं, बस अपनापन और बातचीत।
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Author | मचान पत्रिका |
Categories | Arts |
Website | - |
machaan.se.guftagoo@gmail.com |
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